अभी देश की मोदी सरकार दिल्ली और मुंबई समेत देश के चार और हवाई अड्डों को बेचने के लिए तैयार है। मोदी सरकार ने अभी दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद हवाई अड्डों में अपनी बची हिस्सेदारी बेचने की योजना तैयार कर ली है। हाल ही में सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभी केंद्र की मोदी सरकार ने इन संपत्तियों को बेचकर कर 2.5 लाख करोड़ रुपये जुटाने का प्लान बनाया है। इसी के तहत इन हवाई अड्डों में सरकार अपनी शेष हिस्सेदारी भी बेचना चाह रही है। आपको बता दे कि इन हवाई अड्डों का सरकार ने पहले ही निजीकरण कर दिया है। हालांकि, इनमें विमान पत्तन प्राधिकरण के माध्यम से सरकार की कुछ हिस्सेदारी अभी बची है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत देश के जिन छह हवाई अड्डों के संचालन का ठेका अडाणी समूह को मिला है, उनके लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप अप्रेजल कमिटी यानि पीपीपीएसी ने एक ही निजी कंपनी को दो से अधिक हवाई अड्डों के संचालन का ठेका नहीं सौंपने जैसे वित्त मंत्रालय के कई महत्वपूर्ण सिफारिशों की अनदेखी कर दी। तो चलिए विस्तार से जाने है हवाई अड्डा निजीकरण के बारे में।
जैसा की आप जानते ही होंगे हवाई अड्डों के निजीकरण के बाद यात्रियों की कई प्रकार की सुविधाये बहेंगी, लेकिन सुविधा के लिए उन्हें उनके प्रकार के चार्ज देने पड़ सकते हैं। तो ये बात तो कन्फर्म है की निजीकरण होने से यात्रियों को फायदा तो मिलेगा ही साथ में नुकसान भी होगा। अभी देश में 5 बड़े एयरपोर्ट दिल्ली, मुम्बई, बेंगलूरु, हैदराबाद और कोचीन का निजीकरण हो चूका है और इनका संचालन निजी कंपनियों के द्वारा हो रहा है। निजीकरण होने से इन एयरपोर्ट पर कई तरह की आधुनिक सुविधाओं में बढ़ोतरी भी हुई है तो वहीं नुक्सान की बात करे तो एयरपोर्ट्स में प्रवेश करते ही चार्ज वसूली शुरू हो जाती है। आज के समय में जयपुर एयरपोर्ट पर यदि किसी भी यात्री को सी-ऑफ करना हो या कोई आइटम रिसीव करना हो तो उसके लिए 8 मिनट का नि:शुल्क समय निर्धारित किया गया है यानी आप मिनट में अपना पार्सल ले सकते हो बिना किसी शुल्क के। और अब निजी कंपनियां के इन एयरपोर्ट पर प्रवेश करते ही कम से कम आधे घंटे का पार्किंग शुल्क देना पड़ता है। और कमर्शियल गाड़ियों के लिए यह चार्ज 150 रुपए तक भी हो सकता है।
आपको बता दें कि पिछले कुछ समय पहले सचिवों की अधिकारी प्राप्त समिति की हुई चर्चा शामिल दो आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अभी इन चारों हवाई अड्डों में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण यानि कि एएआई की शेष हिस्सेदारी बेचने के साथ ही 13 अन्य हवाईअड्डों के निजीकरण की भी तैयारी है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद हवाई अड्डों का संचालन कर रहे संयुक्त उपक्रमों में एएआई की इक्विटी हिस्सेदारी के विभाजन के लिए अपेक्षित मंजूरी प्राप्त करेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को अगले कुछ दिनों में मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजे जाने की संभावना है। आपको बता दे कि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निजीकरण के लिए पहचान किए गए 13 एएआई हवाई अड्डों के प्रस्ताव को अधिक आकर्षक बनाने के लिए मुनाफे वाले और गैर-मुनाफे वाले हवाई अड्डों को मिलाकर पैकेज तैयार किया जायेगा। केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा हवाई अड्डों के निजीकरण के पहले दौर में अडाणी समूह ने पिछले साल छह हवाई अड्डे जैसे लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, मंगलुरु, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी के परिचालन का लाइसेंस हासिल किया।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत काम करने वाला एएआई देश भर में 100 से अधिक हवाई अड्डों का मालिक है और उनका प्रबंधन करता है। क्या आपको पता है मुंबई के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में अडाणी समूह की 74 फीसदी हिस्सेदारी है और शेष 26 फीसदी हिस्सेदारी एएआई के पास है। साथ ही आपको बता दे कि दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में जीएमआर समूह के पास 54 फीसदी और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के पास 26 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि फ्रापोर्ट एजी तथा एरमान मलेशिया के पास 10 फीसदी हिस्सेदारी है। एएआई के पास आंध्र प्रदेश सरकार के साथ हैदराबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड में 26 फीसदी और कर्नाटक सरकार के साथ बैंगलोर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में भी 26 फीसदी हिस्सेदारी है।
क्या आपको पता है वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने साल 2021-22 के बजट भाषण के दौरान क्या कहा था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा साल 2021-22 के बजट के अनुसार देश में नए इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए तमाम सरकारी कंपनियों की संपत्तियां मौद्रीकरण में काफी अहम भूमिका निभा सकती है। इसी तरह पीएम मोदी ने पिछले महीने कहा था कि सरकार ऑयल एंड गैस पाइप लाइन जैसी 100 सरकारी संपत्तियों की मौद्रिकरण की तैयारी में हैं, जिससे 2.50 लाख करोड़ रुपये हासिल किए जा सकते हैं। इसी तरह, सरकार 1 अप्रैल से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष में 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाना चाहती है।
आपको बता दें कि देश की मोदी सरकार ने पहले चरण में 6 एयरपोर्ट की निलामी कर चुके है। अभी मोदी सरकार को भरोसा है कि जिस तरह पहले चरण में सरकार ने कंपनियों को खरीदने में दिल्चापसी दिखाई थी उसी तरह दूसरे चरण में भी ये निजी कंपनियां दिलचस्पी दिखा सकती हैं। आपको बता दे कि पहले चरण में अदानी, जीएमआर, जीवीके जैसी कंपनियों से मोदी सरकार को अच्छा रिस्पॉन्स मिला था। उस समय पर अदानी एंटरप्राइजेज को 6 एयरपोर्ट का जिम्मा मिला था। दूसरे चरण में भी ये निजी कंपनियां दिलचस्पी दिखा सकती हैं। सरकारी कंपनियों के एसेट मॉनेटाइजेशन पर बनी कमेटी ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट सचिव ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
आपको बता दे कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत देश के छह हवाई अड्डों के संचालन का ठेका अडाणी समूह को मिला। साथ ही आपको ये भी बात दे कि इस समूह को यह ठेका 50 साल तक के लिए मिला है। सरकार ने पिछले साल नवंबर में एएआई द्वारा परिचालित किए जाने वाले छह हवाई अड्डों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत चलाने की अनुमति दी थी। इसके लिए मंगाई गई बोलियां बीते 25 फरवरी को खोली गईं। सभी छह अहमदाबाद, तिरुवनंतपुरम, लखनऊ, मेंगलुरु, जयपुर और गुवाहाटी हवाई अड्डों के परिचालन के लिए अडाणी समूह ने सबसे ऊंची बोली लगाई थी।
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